2025 में पहचान सत्यापन के लिए भुगतान करना क्यों सबसे खराब फैसला है
दिदित समाचारJanuary 8, 2025

2025 में पहचान सत्यापन के लिए भुगतान करना क्यों सबसे खराब फैसला है

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Key takeaways

पहचान सत्यापन पर होने वाला खर्च शून्य कर देने से आप इनोवेशन, मार्केटिंग और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बजट लगा सकते हैं, साथ ही पेड KYC मॉडल से जुड़ी छिपी हुई लागतों से बच सकते हैं।

मुफ्त KYC अपनाने से डिजिटल ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया अनुकूलित होती है और उपयोगकर्ता अनुभव बेहतर बनता है, जिससे बीच में प्रक्रिया छोड़ने वालों की संख्या कम होती है और ग्राहकों की बनाए रखने की दर (रिटेंशन) बढ़ती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और उन्नत बायोमेट्रिक्स का उपयोग करने वाले आधुनिक समाधानों से डीपफेक और धोखाधड़ी के खिलाफ सुरक्षा मजबूत होती है, जिससे कम्प्लायंस सुनिश्चित होने के साथ-साथ डेटा सुरक्षा भी बेहतर होती है।

Didit जैसे टूल दस्तावेज़ सत्यापन, चेहरों की पहचान (फेशियल रिकॉग्निशन) और AML स्क्रीनिंग को एकीकृत करते हैं, प्रक्रिया को सरल बनाते हैं और eIDAS 2 व GDPR जैसी नियामकीय आवश्यकताओं का पालन सुनिश्चित करते हैं।

 


क्या आप अब भी अपने ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने के लिए भुगतान कर रहे हैं? हम आपको बता दें कि यह 2025 में लिया जाने वाला सबसे गलत फैसला हो सकता है: यह मॉडल न सिर्फ पुराना हो चुका है, बल्कि आपके अनुमान से कहीं ज्यादा खर्चीला भी साबित हो सकता है। तकनीक के तेज़ी से आगे बढ़ने और नए कम्प्लायंस समाधानों के आने के बावजूद, जिन संस्थानों ने अब भी पारंपरिक भुगतान आधारित वेरिफिकेशन मॉडल को थाम रखा है, वे पीछे छूटती जा रही हैं। यह स्वीकारने का समय आ गया है: केवल “डिजिटल डायनासॉर” ही Pay-Per-Compliance (PPC) जैसे पुराने मॉडल से चिपके हुए हैं।

आज और भविष्य उन स्मार्ट, सुलभ और अनुकूलित समाधान का है, जैसे कि Didit। Didit बाजार में ऐसा पहला और इकलौता प्लेटफ़ॉर्म है जो आपके व्यवसाय के लिए फ्री और अनलिमिटेड KYC उपलब्ध कराता है। जब पेड KYC अब लाभप्रद नहीं रहा, तो इस पर खर्च करते रहने का क्या तुक है?

अगर आप जानना चाहते हैं कि क्यों 2025 में पहचान सत्यापन के लिए भुगतान करते रहना सबसे खराब फैसला है, तो आगे पढ़ें!

भुगतान आधारित KYC विलुप्त होने की कगार पर क्यों है

पिछले कुछ वर्षों में, पहचान सत्यापन (KYC) सभी तरह की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के लिए अनिवार्य बन गया है। बैंक, फिनटेक या गेम्ब्लिंग प्लेटफ़ॉर्म जैसी संस्थाओं ने समझा कि उन्हें अपने ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने के लिए भुगतान करना ज़रूरी है—मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग की रोकथाम के नियमों का पालन करने के लिए यह अनिवार्य कदम था, साथ ही धोखाधड़ी से जुड़ी अन्य नियामकीय आवश्यकताओं के कारण भी। लंबे समय तक पेड KYC को उद्योग में मानक माना जाता रहा और इसे व्यापक रूप से अपनाया गया।

लेकिन अब परिदृश्य बदल चुका है। तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं और डीपफेक जैसी धोखाधड़ी की तकनीकें बहुत तेज़ी से बढ़ रही हैं, जबकि कई कंपनियां अब भी भुगतान-आधारित वेरिफिकेशन के पुराने मॉडल में जकड़ी हुई हैं, जो उनके संसाधनों को लगातर ख़र्च कराता रहता है और बदले में सुरक्षा भी पर्याप्त नहीं देता। ऐसे पारंपरिक KYC सिस्टम की समस्या केवल मासिक फीस तक ही सीमित नहीं है; इसको चलाने वाली पूरी बुनियादी ढाँचागत लागत भी बहुत भारी है: इसे हम “पारंपरिक KYC मॉडल की छिपी हुई लागतें” कहते हैं।

पारंपरिक पेड KYC की छिपी हुई लागतें

अपने व्यवसाय में कम्प्लायंस के लिए आप कितना समय, पैसा और संसाधन लगाते हैं—क्या आपने कभी गंभीरता से सोचा है? पेड KYC की बात करते ही ज्यादातर लोग मासिक फीस या प्रति-वेरिफिकेशन खर्च (प्लान के अनुसार) सोचते हैं। लेकिन यह तो सिर्फ ऊपरी सतह है। किसी भी पहचान सत्यापन सेवा को एकीकृत करने के पीछे अनेक छिपे हुए खर्च हो सकते हैं, जो आपके वित्तीय संतुलन को हिला सकते हैं।

  • इंटीग्रेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर: कुछ पारंपरिक KYC सेवाओं को लागू करने के लिए आपको अपनी संपूर्ण कम्प्लायंस रणनीति को नए सिरे से डिजाइन या बदलना पड़ सकता है। इसका मतलब है डेवलपर्स, कंसल्टेंट्स और इंटीग्रेटर्स को उच्च दरों पर हायर करना, साथ ही प्रोजेक्ट समय से अधिक लंबा खिंच सकता है। इसके अलावा, नियामकीय दिशा-निर्देशों में हर छोटे-बड़े बदलाव पर फिर नए सिरे से मॉडिफिकेशन की ज़रूरत पड़ेगी—जिसका मतलब है अतिरिक्त खर्च।
  • स्टोरेज और प्रोसेसिंग की क्षमता: कोई भी पहचान सत्यापन समाधान ग्राहकों के दस्तावेज़ों की तस्वीरें, लाइवनेस चेक वीडियो, और अन्य निजी जानकारियाँ इकठ्ठा, स्टोर और प्रोसेस करता है। अगर आपका प्रोवाइडर डेटा वॉल्यूम के आधार पर शुल्क लेता है, या थर्ड-पार्टी सर्वर इस्तेमाल करने को कहता है (जिसमें आपको अपने एन्क्रिप्शन सिस्टम भी लगाने पड़ें), तो यह एक स्थायी खर्च बन जाता है।
  • मानव संसाधन और सपोर्ट: वेरिफिकेशन सिस्टम जितना जटिल होगा, उसे संभालने के लिए उतने ही ज्यादा लोगों की ज़रूरत पड़ेगी। लेकिन याद रखें, ज्यादा जटिल होने का मतलब हमेशा ज्यादा सुरक्षित होना नहीं होता।

इन सब कारणों से एक तरह से “अदृश्य लेकिन बहुत बड़ा” बिल तैयार हो जाता है: हर छोटा-सा चरण अतिरिक्त खर्च और यूज़र के लिए अतिरिक्त झंझट जोड़ देता है, जो अंततः आपके व्यवसाय के विकास को धीमा कर देता है। इससे भी बुरा यह है कि इन खर्चों से हमेशा सुरक्षा स्तर या धोखाधड़ी की पहचान दर बेहतर हो ही जाए, इसकी गारंटी नहीं।

भुगतान आधारित वेरिफिकेशन मॉडल के जोखिम

पारंपरिक पेड KYC सिस्टम का नुकसान सिर्फ वित्तीय पहलू तक सीमित नहीं है। इसकी वजह से व्यवसाय की साख (ब्रांड इमेज) और उपयोगकर्ता अनुभव (UX) को भी खतरा हो सकता है:

  • कठिन KYC प्रक्रियाएं: KYC प्रक्रिया का उद्देश्य होना चाहिए कि यह उपयोगकर्ता अनुभव में बाधा न बने। लेकिन कुछ पारंपरिक प्रोवाइडर अब भी पुराने ढर्रे की वेरिफिकेशन पद्धतियाँ अपनाए हुए हैं, जो लंबी, जटिल और कई दस्तावेज़, वीडियो व अन्य निजी जानकारियाँ अपलोड करने को मजबूर करती हैं—जो उपयोगकर्ता के लिए काफी बोझिल है।
  • कमज़ोर सुरक्षा: बाहरी सेवा (थर्ड-पार्टी) के साथ डेटा शेयर करना हमेशा जोखिम भरा होता है। लेकिन अधिक खर्च करने का मतलब बेहतर सुरक्षा होना जरूरी नहीं। कई सिस्टम पुराने हैं, आसानी से हैक किए जा सकते हैं और एनक्रिप्शन जैसे सुरक्षा उपाय भी पर्याप्त नहीं अपनाते। अगर डेटा लीक हो जाता है, तो आपकी कंपनी की छवि को सबसे बड़ा झटका लगता है।
  • उपयोगकर्ता का भरोसा खोना: अगर KYC प्रक्रिया बेहद जटिल लगे या चेहरा-पहचान (फेशियल रिकॉग्निशन) बार-बार विफल हो, तो यूज़र आपकी सेवा पर भरोसा नहीं करेंगे। यह खराब अनुभव एक संभावित लंबे रिश्ते को महज़ कुछ सेकंड में ख़त्म कर सकता है।

मुफ्त KYC की क्रांति: क्या यह वाकई संभव है?

अगर आप अभी तक पेड मॉडल के आदी हैं, तो मुफ्त और अनलिमिटेड KYC की पेशकश करने वाली कंपनी का विचार असंभव-सा लग सकता है। लेकिन Didit जैसी सेवाओं ने आर्थिक रुकावटों को तोड़ दिया है, जो पहले कई कंपनियों को कम्प्लायंस के क्षेत्र में पीछे किए हुए थीं। इस तरह सभी आकार और सेक्टर के व्यवसाय अब एक सुरक्षित और भरोसेमंद टूल का लाभ ले सकते हैं। हम KYC इंडस्ट्री में चली आ रही पुरानी व्यवस्था को बदलना चाहते हैं।

और जानना चाहते हैं? हमारे सीईओ अल्बर्टो रोज़स ने हमारे ब्लॉग पोस्ट में विस्तार से बताया है कि हम अनलिमिटेड और मुफ्त KYC की पेशकश कैसे कर पाते हैं
 

Didit के मुफ्त और अनलिमिटेड KYC को अपनाने के 4 प्रमुख कारण

KYC को मुफ्त करने की सबसे बड़ी वजहों में से एक आर्थिक पहलू है। पहचान सत्यापन की लागत शून्य करना आपके बिज़नेस में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। साथ ही, आपके कम्प्लायंस विभाग में निवेश अनुकूलित होता है और नए ग्राहकों को जोड़ने की लागत भी घटती है।

एक और बेहद अहम कारण है: बेहतरीन उपयोगकर्ता अनुभव। यह जरूरी नहीं कि किसी सेवा के लिए पैसे चुकाने से वह सर्वोत्तम हो ही जाए—अक्सर ऐसा सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि यह KYC और धन शोधन रोकथाम से जुड़े नियमों का पालन करने के लिए अनिवार्य होता है। लेकिन Didit के साथ, आप डिजिटल ऑनबोर्डिंग के दौरान अधिक सुखद अनुभव दे सकते हैं, जिससे संतुष्टि और रिटेंशन दोनो बढ़ेंगे।

कल्पना कीजिए, आप हर महीने हजारों रुपये खर्च कर रहे हों और ऊपर से आपका वेरिफिकेशन प्रोवाइडर लेटेस्ट फ्रॉड डिटेक्शन टूल का इस्तेमाल ही न कर रहा हो? Didit इस समस्या को हल करता है। हमारा मिशन इंटरनेट को “मानवीय” बनाना है, यही कारण है कि हम हाई-टेक सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, जो जालसाजी या छेड़छाड़ वाले दस्तावेज़ और डीपफेक जैसी तकनीकों का पता लगा सकें—इस तरह आपका बिज़नेस साइबर अपराधियों से कहीं ज्यादा सुरक्षित रहता है।

इस तरह, Didit खुद को पहचान सत्यापन टूल के तौर पर स्थापित करता है, लेकिन एएमएल/एफ़टी (मनी लॉन्ड्रिंग/टेरर फ़ंडिंग रोकथाम), GDPR, और eIDAS 2 (जो यूरोप में डिजिटल आइडेंटिटी की आधारशिला रखने वाली पहल) जैसे कानूनों का भी अनुपालन सुनिश्चित करता है।

Didit पहचान सत्यापन को कैसे अंजाम देता है?

Didit के साथ, आप अपने बिज़नेस के यूज़र्स की पहचान को बेहद आसान, तेज़ और बिना किसी रुकावट के सत्यापित कर सकते हैं। हमारी पेशकश तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है: डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, फेस रिकॉग्निशन और एक वैकल्पिक AML स्क्रीनिंग। और यह सब 30 सेकंड से भी कम समय में हो जाता है।

  1. डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन

    हमारे विशेष एल्गोरिद्म आधिकारिक दस्तावेज़ों की जांच करते हैं और किसी भी छेड़छाड़ या विसंगति का पता लगाते हैं। दस्तावेज़ की प्रामाणिकता की पुष्टि हो जाने पर, आवश्यक डेटा निकाला जाता है। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बारे में और जानें

  2. फेस रिकॉग्निशन

    कस्टम AI के माध्यम से, हम लाइवनेस चेक करते हैं ताकि डीपफेक, मास्क या प्री-रिकॉर्डेड वीडियो जैसी धोखाधड़ी की संभावनाओं को खत्म किया जा सके। हमारा AI यूज़र के चेहरे को उनके विभिन्न पहचान दस्तावेजों से भी मिलाता है। फेस रिकॉग्निशन के बारे में और जानें

  3. AML स्क्रीनिंग (वैकल्पिक)

    हम दुनिया भर के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस को रीयल-टाइम में स्कैन करते हैं, ताकि PEPs (Politically Exposed Persons), प्रतिबंधित इकाइयों या प्रतिकूल मीडिया रिपोर्टों की जानकारी मिल सके। हमारी AML स्क्रीनिंग सेवा के बारे में अधिक जानें

Didit के Business Console की मदद से आप सभी पहचान सत्यापन प्रक्रियाओं की स्थिति को रीयल-टाइम में एक ही स्क्रीन पर ट्रैक कर सकते हैं और किसी भी वक्त अपने बिज़नेस की “हेल्थ” पर नज़र रख सकते हैं।

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निष्कर्ष: KYC का भविष्य मुफ्त है

ऐसे दौर में जब धोखाधड़ी ऐतिहासिक ऊँचाइयों पर है (और हर साल तेज़ी से बढ़ रही है), 2025 में भी KYC के लिए भुगतान करना अब किसी मायने में समझदारी नहीं है। Didit में हम मानते हैं कि पहचान सत्यापन हर व्यवसाय का मूलभूत अधिकार होना चाहिए—यही हमारी प्रतिबद्धता है। हमारा समाधान KYC से जुड़े खर्चों को खत्म करता है और संस्थानों व उनके ग्राहकों—दोनों के लिए बेहतर अनुभव प्रदान करता है।

आने वाले समय की मांग है कि समाधान मुफ्त हों। किसी भी कम्प्लायंस रणनीति के लिए शून्य-लागत और अनलिमिटेड मॉडल को अपनाना एक समझदारी भरा कदम है। बीते वक्त को पीछे छोड़ें और Didit का स्वागत करें:

KYC का भविष्य मुफ्त है—और आप इसे अपनाने से बस एक क्लिक दूर हैं।

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